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Haryanvi Dushmani Status
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Haryanvi Dushmani Status |
ये कह कर मुझे मेरे ✒ दुश्मन हँसता छोड़ गए,
तेरे दोस्त काफी हैं तुझे रुलाने के लिए.
अहमद फ़राज़
मेरे ✒ दुश्मन भी, मेरे मुरीद हैं शायद,
वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,
मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर,
रुबरु होने पर सलाम किया करते हैं.
✒ दुश्मन और सिगरेट को जलाने के बाद,
उन्हे कुचलने का मज़ा ही कुछ और होता है.
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तुझसे अच्छे तो मेरे ✒ दुश्मन निकले,
जो हर बात पर कहते हैं.. ‘तुम्हें नहीं छोड़ेंगे.
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Haryanvi Dushmani Status |
मेरी नाराज़गी पर हक़ मेरे अहबाब का है बस,
भला ✒ दुश्मन से भी कोई कभी नाराज़ होता है.
जो दिल के करीब थे वो जबसे ✒ दुश्मन हो गए
जमाने में हुए चर्चे हम मशहूर हो गए.
यूँ तो मैं ✒ दुश्मनों के काफिलों से भी सर उठा के गुजर जाता हूँ,
बस, खौफ तो अपनों की गलियों से गुजरने में लगता है
कि कोई धोखा ना दे दे.
कितने झूठे हो गये है हम बच्चपन में
अपनों से भी रोज रुठते थे आज दुश्मनों से भी मुस्करा के मिलते है.
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Haryanvi Dushmani Status |
मुझसे दोस्ती ना सही तो ✒ दुश्मनी भी ना करना
क्यूंकि में हर रिश्ता पूरी शिददत से निभाता हूँ .
जगह ही नही दिल में अब ✒ दुश्मनों के लिए,
कब्ज़ा दोस्तों का कुछ ज्यादा ही हो गया है .
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी,
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी.
पूछा है ग़ैर से मिरे हाल-ए-तबाह को,
इज़हार-ए-दोस्ती भी किया ✒ दुश्मनी के साथ.
वैसे ✒ दुश्मनी तो हम -कुत्ते- से भी नहीं करते है,
पर बीच में आ जाये तो -शेर- को भी नहीं छोड़ते.
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जब जान प्यारी थी तब ✒ दुश्मन हज़ार थे,
अब मरने का शौक है तो कातिल नहीं मिलते.
✒ दुश्मन भी मेरे मुरीद है शायद
वक़्त बे वक़्त मेरा नाम लिया करते है
मेरे गली से गुजरते है छुपा के खन्जर
रू-ब-रू होने पर सलाम किया करते है.
बिना मकसद बहुत मुश्किल है जीना,
खुदा आबाद रखना ✒ दुश्मनों को मेरे.
हम तो ✒ दुश्मनी भी दुश्मन की औकात देखकर करते है
बच्चो को छोड देते है और बडो को तोड देते है.
कुछ न उखाड़ सकोंगे तुम हमसे ✒ दुश्मनी करके,
हमें बर्बाद करना चाहते हो तो हमसे मोहब्बत कर लो.
देखा तो वो शख्स भी मेरे ✒ दुश्मनो में था,
नाम जिसका शामिल मेरी धड़कनों में था.
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जिस खत पे ये लगाई उसी का मिला जवाब,
इक मोहर मेरे पास है ✒ दुश्मन के नाम की.
कितने झूठे हो गये है हम,
बच्चपन में अपनों से भी रोज रुठते थे,
आज ✒ दुश्मनों से भी मुस्करा के मिलते है.
आँखों से आँसुओं के दो कतरे क्या निकल पड़े,
मेरे सारे ✒ दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे़.
हाथ में खंजर ही नहीं आँखों में पानी भी चाहिए,
ऐ खुदा ✒ दुश्मन भी मुझे खानदानी चाहिए.
हम से पूछो ना दोस्ती का सिला
✒ दुश्मनों का भी दिल हिला देगा
सुदर्शन फाकिर
✒ दुश्मनों से क्या ग़रज़ दुश्मन हैं वो
दोस्तों को आज़मा कर देखिए.
✒ दुश्मन को कैसे खराब कह दूं ,
जो हर महफ़िल में मेरा नाम लेते है.
मुझे मेरे दोस्तों से बचाइये राही
✒ दुश्मनों से मैं ख़ुद निपट लूँगा.
सईद राही
हर क़दम पे नाकामी हर क़दम पे महरूमी,
ग़ालिबन कोई ✒ दुश्मन दोस्तों में शामिल है.
अमीर क़ज़लबाश
तड़पते है नींद के लिए तो यही दुआ निकलती है,
बहुत बुरी है मोहबत, किसी ✒ दुश्मन को भी ना हो.
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जाती हुई मय्यत देख के भी वल्लाह तुम उठ कर आ न सके,
दो चार क़दम तो ✒ दुश्मन भी तकलीफ़ गवारा करते हैं.
एक भी मौका न दो जो दोस्त हैं ✒ दुश्मन बनें,
दुश्मनों को लाख मौके दो तुम्हारे हो सकें.
दोस्तो ने दिया है इतना प्यार यहाँ...
तो ✒ दुश्मनी का हिसाब क्या रखें...
कुछ तो जरूर अच्छा है.सभी में...
फिर बुराइयों का हिसाब क्यों रखें.
✒ दुश्मनी हो जाती है मुफ्त में सैंकड़ों से,
इंसान का बेहतरीन होना ही गुनाह है.
एक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर
फिर उम्र भर हवा से मेरी ✒ दुश्मनी रही.
मै रिश्तों का जला हुआ हूँ
✒ दुश्मनी भी फूँक - फूँक कर करता हूँ.
✒ दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए
निदा फ़ाज़ली
मुझसे दोस्ती ना सही पर ✒ दुश्मनी भी ना करना क्योंकि,
नैन हर रिश्ता पुरी शिद्दत से निभाता हूँ.
दोस्ती या ✒ दुश्मनी, नहीं निभाता है आईना,
जो उसके सामने है, वही दिखाता है आईना.
तेरी गलियों में आने जाने से ✒ दुश्मनी हो गयी ज़माने से,
सोके दीदार दे रहा है सज़्जा मिलने आजा किसी बहाने से.
इतनी चाहत से न देखा कीजिए महफ़िल में आप
शहर वालों से हमारी दुश्मनी बढ़ जाएगी.
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✒ दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों ने भी क्या कमी की है
हबीब जालिब
करें हम ✒ दुश्मनी किससे, कोई दुश्मन नहीं अपना,
मोहब्बत ने नहीं छोड़ी, जगह दिल में अदावत की.
शेर का शिकार किया नहीं जाता
राजा को दरबार में मारा नहीं जाता
✒ दुश्मनी अपनी औकात वालों से कर
क्यूंकि खेल बाप के साथ खेला नहीं जाता.
हम तो ✒ दुश्मनी भी दुश्मन की औकात देखकर करते है
बच्चो को छोड देते है और बडो को तोड देते हे.
चार दिन की बात है क्या दोस्ती क्या दुश्मनी,
काट दो इनको खुशी से यार हँसते-हँसते.
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इलाही क्यों नहीं उठती कयामत माजरा क्या है,
हमारे सामने पहलू में वो ✒ दुश्मन बन के बैठे हैं.
प्यार, एहसान, नफरत, दुश्मनी जो चाहो वो मुझसे करलो,
आप की कसम वही दुगुना मिलेगा.
✒ दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों.
बशीर बद्र
ऐ नसीब जरा एक बात तो बता,
तु सबको आजमाता हैँ या मुझसे ही ✒ दुश्मनी हैँ .
✒ दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे.
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मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना, क्युंकी,
मेरी ✒ दुश्मनी का नुकसान सह नही पाओगे.
इधर आ रक़ीब मेरे, मैं तुझे गले लगा लूँ
मेरा इश्क़ बे-मज़ा था, तेरी ✒ दुश्मनी से पहले.
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